निचली अदालतें जमानत आदेश में आपराधिक इतिहार का दें ब्यौरा
हाईकोर्ट ने कहा, जमानत का आदेश देते समय अभियुक्त के आपराधिक इतिहास का पूरा ब्यौरा अवश्य दर्ज करें।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए निचली अदालतों को ये आदेश दिया कि वे सभी जमानत अर्जियों पर आदेश देते समय अभियुक्त के आपराधिक इतिहास का ब्यौरा अपने आदेश में अवश्य दर्ज करें। यही नहीं किसी अभियुक्त का आपराधिक इतिहास नहीं है तो उसे भी वे अपने आदेश में इंगित करें।
इसे भी पढ़ें- गरेप के आरोपी पूर्व विधायक की जमानत निरस्त
फिरोजाबाद के उदय प्रताप उर्फ दाऊ की जमानत अर्जी खारिज करते हुए न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा कि हालांकि आपराधिक इतिहास जमानत अर्जी पर निर्णय करने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता है। मगर आपराधिक इतिहास होने अपराधी को किसी गैरजमानती अपराध में जमानत पर रिहा करने या नहीं रिहा करने का आधार बनता है। कोर्ट ने महानिबंधक हाईकोर्ट को इस आदेश की प्रति समस्त जिला अदालतों को प्रेषित करने का निर्देश दिया है। 29 जनवरी तक इसकी अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
याची उदय प्रताप ने अपनी जमानत अर्जी में कहा था कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और उसके खिलाफ सिर्फ एक ही मुकदमा है। जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील द्वारा दी गई जानकारी से पता चला कि याची का आपराधिक इतिहास है। जिसका जिक्र अधीनस्थ न्यायालय ने उसकी जमानत अर्जी खारिज करते समय अपने आदेश में नहीं किया है।